मैं जबभीअकेलाहोताहूँ... मैंसिसकसिसककररोताहूँ... तेरीयादतबआनेलगतीहै... नजागताहूँनसोताहूँ....
रख कर सामने तस्वीर तेरी.... मैं सोचता हूँ तू होती मेरी.... आज भी हर दुआ मैं तुझे मांगता हूँ... तेरे बिन मेरी दुनिया लगे ठहरी....
कैसे भूल जाऊँ मैं -
तेरा हँसना तेरा रोना... कभी रख के सर काँधे पे सोना... तेरा डांटना....तेरा समझाना....तेरे रूठने पे तुझे मनाना... दूर होकर भी तेरा पास होना....तुझसे बात करके ही सोना...
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कैसे भूल जाऊँ मैं -
मेरी हरकतों पर तेरा मुस्काना ....कभी नाराज़ होकर दूर जाकर बैठना....
तेरे नखरे..पल में अकड़े...और कभी कल की एक बात पर आज भर ऐंठना...
मैं चाहता हूँ वे दिन तेरी यादों में भी बस जायें कहीं....
अफ़सोस मुझे इस बात का है मैने कुछ ऐसा किया भी नही...
किसी और के संग तेरा मुस्काना ....
मुझसे न मिलने का तेरा बहाना...
कोई तुझको,, छु ले गर तो ....
आसाँ नही ...इसे ( दिल को ) मनाना...
तुम थी तो ज़िन्दगी , मुझको लगती थी हँसी...
तुम नही तो आज ये ज़िन्दगी मुझपर हँसी....मुझपर हँसी..
पर तेरे बिन ही अब जीना है मुझे ... तेरे बिन अब जीने लगा हूँ मैं.... तुम छोड़ गए तनहा राहों पर.... एक बार भी न पुछा तुमने .... एक बार भी न सोचा तुमने....
तेरे आज भी मुस्कुराने पर वो फूल तो खिलते होंगे न...
तेरे सपनो में कभी कभी हम बी तो मिलते होंगे न....
भूल मुझे तुम कभी तो नही जाओगी न...
मेरे जाने से पहले...एक बार मिलने तो आओगी न...
तुम मिल के हुए जुदा....तुम हो गये गुमशुदा ... क्यों पल भर के इन रिश्तों में ढेर सारी ख्वाइशें पलती हैं.... इस वक्त की मर्जी के आगे कहाँ किसी की चलती है... क्यों ज़िन्दगी हमसे खेलती है....क्यों खुशियाँ हमेशा छलती है....
आज ख़ुद को ढूँढने की कोशिश मैं....
ख़ुद को उतना ही खोता हूँ....
मैं जब भी अकेला होता हूँ.......