आज का आसमां भी क्यूं बैर लग रहा है...
आज हर शख्स भी अपना क्यों गैर लग रहा है…
मेरे दिल की पीर आंखों का नीर बन क जो बहा है...
सुनो इन दीवारों ने भी कुछ तो कहा है...
हमें छोड़ चले किस ओर
गूंजती आवाजें खिड़कियाँ दरवाजे...
सब यहाँ तनहा हैं... सब यहाँ तनहा हैं...
गूंजती आवाजें खिड़कियाँ दरवाजे...
सब यहाँ तनहा हैं... सब यहाँ तनहा हैं...
अब दोबारा कब तुमारा हमको होगा दर्श...
राह तके खिड़कियाँ झरोके ,ये पौधे और फर्श...
जब हम हँसते थे तो ये फूल हंसा करते थे....
जब हम रोते थे तो ये पल-पल मरा करते थे...
ये चबूतरे कोयल कबुतरें जब दिखती थी छत पर....
लिख रहा हूँ आज आखिरी मैं पन्ना सत्तर...
वो मेज वो कुर्सी वो कटोरी …
उसमे रह गई जो खीर थोडी… कहती :-
आकर अपना हक तो लो...
हमको ज़रा तुम चख तो लो...
कहती है धरा कहता है गगन
कहता है आज ये सूना मन ...
भला ये कैसी मजबूरी है...
जहाँ जाना भी जरुरी है...
के पत्तियां भी झुक गयीं हैं आज…
और ये हवा भी रुक गयी है आज
पर गम-ऐ-जुदाई को दबाये...
वो आज भी मुस्कुराए ,तना हुआ तरुवर…
वो आज भी मुस्कुराए ,तना हुआ तरुवर…
लिख रहा हूँ आज आखिरी में पन्ना सत्तर…
यहीं अपने सपनो का संसार…
हर दिन यहाँ लगते थे त्यौहार
ये शामें और ये कोलाहल…
कहाँ मिलेंगे हमको कल ??
ये हवा और मिटटी की खुसबू…
किस्से कहानियाँ और गुफ्तगू
ले जा रहा हूँ आज सारी यादें बटोरकर…
लिख रहा हूँ आज आखिरी में पन्ना सत्तर…
जी भर के आज देख लेने दे...
मत पोछ इन्हे अब बहने दे...
बहना तो आगे भी हैं इन्हे...
फ़िर पोछन बुलावेंगे किन्हें ?
मत छेड़ तू ये आदत मेरी...
अब जा भी… होती होगी देरी...
पर जाना जरा देखकर , जरा संभलकर...
लिख रहा हूँ आज आखिरी में पन्ना सत्तर…
ऊब चुकी हूँ में के अब तन्हाई भी कहती है
ख़ुद की धड़कन भी अब कानो को सुनाई देती है...
सूनी पड़ी हैं गलियां ...के वीरान हुआ परिसर
एहसास न होने पाया के कब पुरा हुआ सफर...
Tagda bhai shiva,
ReplyDeleteYou simply touch the heart
too gud!! too touchy!
ReplyDeleteOutstanding...heart touching!!! Unspoken words!!! Great work Dude!!
ReplyDeleteits nice :)
ReplyDeletegrt wrk!!!wating 4 more:)
ReplyDeletekya shiva bhai, school k baad to aapke vichaar umad-umad k baahar aa rahe hain..
ReplyDeletesuperbly written buddy..touching the essence of our life@tagore......i miss rum no 33 :(
ReplyDeletesahiiiii SHIV@ i also miss T@gOrE room no.70..my first room in MNNIT ... :)
ReplyDeletemast likha hai yaar....mazaa aa gaya padh k..:)
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