कविता तो १२ जुलाई को लिखी गयी थी. . पर समय के अभाव और उसके प्रस्तुतिकरण ने थोडा वक़्त ले लिया. .
दिनांक जुलाई बारह. .
एक साल हो गया हमारा. .
ज़िन्दगी में मजे भी किये. . ज़िन्दगी ने मजे भी लिए. .
एक दूसरे को खुश करते रहे. .
गम आया जब मिल कर सहे. .
तजुरबा कमाया . . पैसे भी. .
मस्त रहने के तरीके ढूँढा किये कैसे भी. .
कभी याद पुरानी कर लिए. . कभी गीत कोई सा गा लिए. .
जो मिला वो मेहनत से मिला . . जो खोया उसे भुला दिए. .
किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
समय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!
जीवन इसी का नाम है !
ReplyDeleteमजेदार है |
ReplyDeleteइससे भी मजेदार ---
तुम्हारे माता-पिता की
शादी की २५ वीं सालगिरह
भी १२ जुलाई को ही थी ||
और ये रही एक रचना |
12 जुलाई को कटा 25 वाँ मुर्गा
जश्न मनाती जा रहीं, बेगम मस्त महान,
अंगड़ाई ले छेड़ दीं, वही पुरानी तान |
वही पुरानी तान, सुबह से रौनक भारी-
करके फिर ऐलान, करीं जम के तैयारी |
है रविकर अफ़सोस, कभी न मुर्गा लाती,
"पर" काटी पच्चीस, जीत का जश्न मनाती ||
पर काटी / पर काटना ||
वैसे तो हमारे यहाँ बकरे की कन-कट्टी भी की जाती है, सांकेतिक बलि ||
शुक्रवार --चर्चा मंच :
ReplyDeleteचर्चा में खर्चा नहीं, घूमो चर्चा - मंच ||
रचना प्यारी आपकी, परखें प्यारे पञ्च ||
एक साल पूरा होने पर बधाई ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteकिसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
ReplyDeleteसमय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!
bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.
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किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
ReplyDeleteसमय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!
bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.
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आपको अपने जॉब की और आपके मातापिता को शादी की पच्चीसवीं वर्ष की बधाईयाँ...
ReplyDeleteबढ़िया रचना |
ReplyDeleteAap sabhi jano ka bahut bahut shukriya. .
ReplyDeleteकिसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
ReplyDeleteसमय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!
bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.