Friday, August 19, 2011

एक साल हो गया हमारा..

कविता तो १२ जुलाई को लिखी गयी थी. . पर समय के अभाव और उसके प्रस्तुतिकरण ने थोडा वक़्त ले लिया. .

दिनांक जुलाई बारह. .

एक साल हो गया हमारा. .

ज़िन्दगी में मजे भी किये. . ज़िन्दगी ने मजे  भी लिए. .

एक दूसरे को खुश करते रहे. .

गम आया जब मिल कर सहे. .

तजुरबा कमाया . . पैसे भी. .

मस्त रहने के तरीके ढूँढा किये कैसे भी. .

कभी याद पुरानी कर लिए. . कभी गीत कोई सा गा लिए. .

जो मिला वो मेहनत से  मिला . . जो खोया उसे भुला दिए. .

किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .

 समय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!

11 comments:

  1. जीवन इसी का नाम है !

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  2. मजेदार है |
    इससे भी मजेदार ---
    तुम्हारे माता-पिता की
    शादी की २५ वीं सालगिरह
    भी १२ जुलाई को ही थी ||
    और ये रही एक रचना |

    12 जुलाई को कटा 25 वाँ मुर्गा

    जश्न मनाती जा रहीं, बेगम मस्त महान,
    अंगड़ाई ले छेड़ दीं, वही पुरानी तान |

    वही पुरानी तान, सुबह से रौनक भारी-
    करके फिर ऐलान, करीं जम के तैयारी |

    है रविकर अफ़सोस, कभी न मुर्गा लाती,
    "पर" काटी पच्चीस, जीत का जश्न मनाती ||

    पर काटी / पर काटना ||
    वैसे तो हमारे यहाँ बकरे की कन-कट्टी भी की जाती है, सांकेतिक बलि ||

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  3. शुक्रवार --चर्चा मंच :

    चर्चा में खर्चा नहीं, घूमो चर्चा - मंच ||
    रचना प्यारी आपकी, परखें प्यारे पञ्च ||

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  4. एक साल पूरा होने पर बधाई ...

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  5. किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
    समय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!

    bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.

    .

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  6. किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
    समय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!

    bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.

    .

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  7. आपको अपने जॉब की और आपके मातापिता को शादी की पच्चीसवीं वर्ष की बधाईयाँ...

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  8. बढ़िया रचना |

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  9. Aap sabhi jano ka bahut bahut shukriya. .

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  10. किसी से न नाराज़गी लेना. . न देना. . अपना उसूल रहा. .
    समय का पहिया धीरे धीरे चलने में मशगूल रहा.!!

    bahut sundar panktiyan. ek varsh poora hone ki badhaii evam shubhkaamnaayein.

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