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Monday, June 20, 2011

70's की लव स्टोरी.!

एक  पकिस्तान  का  ड्राईवर  है  यहाँ ;उसी  के  साथ  ofc जाना -लौटना  होता  है | हम दोस्त हैं ;उससे  अच्छी  पटती  है , उम्र  आड़े  नहीं  आती | हम हर  किस्म  की  बातें  करते ;एक  दिन  यूँ  ही  प्यार  मोहबात के  किस्से  छिड  गए  और   फिर मैं भी  कुरेदने  लगा  अपने  दिल  को, College के कुछ किस्से सुनाय ,पर उसे  शायद  अपनी  सुनाने की  पड़ी  थी - उसने  कहा किस्से  तो  सन  सत्तरके  हुआ  करते  थे , और फिर  याद  कर  डाली उसने अपनी  कहानी, आज  से  कुछ  35 बरस  पुरानी   :)


शर्म आती थी हमें . और फिर डर भी था समाज का. .
हम थोड़े ही bold थे. . बड़ा  advance है  love आज  का. .

रात रात भर ओढ़ के चददर कहाँ ही texting होती थी. .
छत पर बीछे  बिछौने पर, वो चाँद देखते सोती थी. .

हम घर से गुजरने पर उसके, दो घंटी मार देते थे. .
और  वे रोज़ बहाने से, छज्जे पे आते रहते थे. .

दिल खुश हो जाया करता जब, उन्हें सलामत पाते थे. .
हवा से बिखरती जुल्फों में ,जज़्बात उलझ से जाते थे. .

मेरी नुक्कड़ की दूकान से जब भी वो दही मंगाती. . 
 छोटी बेहेन के हाथ से पकोड़े भी गरम भिजवाती. .

माँ के ताने सुनती रोज़, दादी की डाँट खाती थी. .
घर  की  औरतें  बाकी , उसे  बार-बार  समझाती  थी . .

कभी  किसी  रोज़  गर  बाज़ार  वो  करने  आती . .
उसकी  नज़रें  हमें  ढूँढती , शर्माती-घबराती. .

पीछे  से  मैं आता साइकिल  की  दो  घंटी  बजाता . .
फिर  उसे  बिठा  कर  सामने ; साइकिल  दम  भर  दोडाता . .

किसी  बगीचे  बैठ  के  खूब  बातें  किया  करते  थे .  . 
उनकी अदाओं पर मरते और जीया करते थे .!

कभी five star में  candle light से  तो  सजाई  रात  नहीं . .
पर  उनमे  सड़क  पे  संग  चखी गयी कुल्फी वाली  बात  नहीं. .

लिख  लिख कर  कई  प्रेम  पत्र ; book में  दबा  के   रखता  था . .
बस  ऐसा  ही  था  प्यार  मेरा , और  ऐसे  ही  किया  करता  था  :)

Monday, May 2, 2011

College diaries

                            library ;-)

जोड़े बेठे हुए जहाँ. .

जोड़ घटा के बहाने से. .

केफे क्या फिर सी सी डी. .

फिर डर काहे का जमाने से. .
टाँग के पीछे बस्ता खाली. .

पीछे साइकल मे आए सवारी. .

भटके बगुले भी आँख सेकने. .

घुस जाया करते लिब-रारी
अजनबी कई टकराए यहीं

फिर यहीं बनी बांतें सारी . .

बॉलेस्टेड फ्रोज़न की आड़ मे. .

कुछ पढ़ते भी दिखते ब्रह्म-चारी. .
ए.सी. हवा के भी क्या कहने. .

10 के बाद सभी आते रहने. .

कोई सोया पड़ा. . कोई उंघ रहा है. .

और फिर कोई मौका ढूंड रहा है. .
धूल से लत-पथ पड़ी किताबें. .

कितनी ही गयी फिर पढ़ी किताबें. ?

पलटे पन्ने हुई आँखें भारी. .

हमको बड़ी भाती लिब-रारी. 
                                               ...याद बड़ा आती ळाबे-रारी. .


                                                             NESCI   ;-)

जब बैठ के लेता चाय की चुस्की

याद बड़ा आता है नेस्की .

वो गरमा गरम मसाला मेगी . .

कोई जल्दी नही ; जिसके बनने की. .
धूप हो ; दोपहर भले हो. .

हम को भाता बड़ा ही नेस्की .
मैनाएँ आती. . तोते आते. .

फुसफुसते. . चोंच लड़ते. .

भटके बगुले भी ईद-गिर्द ही. .

याद बड़ा आता है नेस्की.
ये मेरी. .वो तेरी. ये उसकी. . वो इसकी. .

ओये हम को भाता बड़ा ही नेस्सी. .
इश्क़ मोहब्बत प्यार व्यार. .

आबे ये इवेंट हटाओ यार. .

कैसे भी कर के जुगाड़. .

Core मे करवाओ यार. .
जहाँ बातें होती हर मैल की. .

याद बड़ा आता है नेस्की
टूःमक अट्ठन्नी टूःमक च्वाननी .

नाचे शीला नाचे मुन्नी

ज़ोर से बेठा दबा कर मुस्की. .

याद बड़ा आता है नेस्की. .
हर रोज़ नयी ही खुराफातें. .

हुमको बड़ा भाता है नेस्की .
होली मानी. . दीवाली भी. .

की दिल्लगी. .दिल की लगी. .

कुछ टूटे टेबल. .चिटके दिल. .

और चीटीआई उंघे कुर्सी. .
                                             याद बड़ा आता है नेस्की. .

                                          हम को भाता बड़ा ही नेस्की !!

Wednesday, February 17, 2010

haseena maan jayegi ;)

To,

तू फूल है या यूँ कहूँ तू फूल की खुशबू भी है... तुझको कहूँ कोयल मैं या कोयल की तू कू-कू भी है... छूई हथेली तेरी तो मुझको वो राहत मिलती है... अरे! सर्दी के मौसम में जैसे हलकी सी धूप खिलती है..मैं सकूटर बजाज का... तू Activa स्कूटी है...मैं सस्ता वाला जल-जीरा .. तू महंगी Mango Frooti है... मैं भुज्पूरी मूवी का plot ...तू Titanic की Theme है... मैं नेटवर्क B S N L का... तू Docomo scheme है... तुझपर नहीं जचता है ये ... जब भी कभी तू रूठी है...

मैं सस्ता वाला जल-जीरा .. तू महंगी Mango Frooti है... !!
 
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