एक पकिस्तान का ड्राईवर है यहाँ ;उसी के साथ ofc जाना -लौटना होता है | हम दोस्त हैं ;उससे अच्छी पटती है , उम्र आड़े नहीं आती | हम हर किस्म की बातें करते ;एक दिन यूँ ही प्यार मोहबात के किस्से छिड गए और फिर मैं भी कुरेदने लगा अपने दिल को, College के कुछ किस्से सुनाय ,पर उसे शायद अपनी सुनाने की पड़ी थी - उसने कहा किस्से तो सन सत्तरके हुआ करते थे , और फिर याद कर डाली उसने अपनी कहानी, आज से कुछ 35 बरस पुरानी :)
शर्म आती थी हमें . और फिर डर भी था समाज का. .
हम थोड़े ही bold थे. . बड़ा advance है love आज का. .
रात रात भर ओढ़ के चददर कहाँ ही texting होती थी. .
छत पर बीछे बिछौने पर, वो चाँद देखते सोती थी. .
हम घर से गुजरने पर उसके, दो घंटी मार देते थे. .
हम घर से गुजरने पर उसके, दो घंटी मार देते थे. .
और वे रोज़ बहाने से, छज्जे पे आते रहते थे. .
दिल खुश हो जाया करता जब, उन्हें सलामत पाते थे. .
हवा से बिखरती जुल्फों में ,जज़्बात उलझ से जाते थे. .
मेरी नुक्कड़ की दूकान से जब भी वो दही मंगाती. .
छोटी बेहेन के हाथ से पकोड़े भी गरम भिजवाती. .
मेरी नुक्कड़ की दूकान से जब भी वो दही मंगाती. .
छोटी बेहेन के हाथ से पकोड़े भी गरम भिजवाती. .
माँ के ताने सुनती रोज़, दादी की डाँट खाती थी. .
घर की औरतें बाकी , उसे बार-बार समझाती थी . .
कभी किसी रोज़ गर बाज़ार वो करने आती . .
उसकी नज़रें हमें ढूँढती , शर्माती-घबराती. .
कभी किसी रोज़ गर बाज़ार वो करने आती . .
उसकी नज़रें हमें ढूँढती , शर्माती-घबराती. .
पीछे से मैं आता साइकिल की दो घंटी बजाता . .
फिर उसे बिठा कर सामने ; साइकिल दम भर दोडाता . .
किसी बगीचे बैठ के खूब बातें किया करते थे . .
उनकी अदाओं पर मरते और जीया करते थे .!
कभी five star में candle light से तो सजाई रात नहीं . .
पर उनमे सड़क पे संग चखी गयी कुल्फी वाली बात नहीं. .
लिख लिख कर कई प्रेम पत्र ; book में दबा के रखता था . .
बस ऐसा ही था प्यार मेरा , और ऐसे ही किया करता था :)
good
ReplyDeleteimproving
बस ऐसा ही था प्यार मेरा , और ऐसे ही किया करता था :)
ReplyDeleteयह क्या बात हुई? था क्यों? बाबा है कहो। तुम्हारे पापा ने परिचय कराया है इस ब्लाग का, तो नजर रहेगी इस ब्लाग पर। कविता के ऊपर गद्य लिखा है उसके फाण्ट बहुत ही छोटे हैं, कुछ बड़े करो भाई, बड़े-बूढे भी तो पढते हैं युवाओं को। अच्छा लिखा है, बस दिल से ही लिखो, कृत्रिमता मत ओढना।
dhanyavaad ma'm :)
ReplyDeleteaapke feedbacks ka intezaar rahega. .aur unse khud ko aur nikharne ki koshish bhi rahegi. . aur han aage se fonts bada rakhunga. .
jo bhi likho dil se jikho. pratul ji aapke ek follower hain unke blog par jaakar poetry ki barikiyan sikho.
ReplyDeletejo man aaye likho. dont wory . be happy
पसंद आयी सै,
ReplyDeleteबापू बेटे दोनों शायर हो गये है, हम तैयार है,
दोनों को झेलने के लिये, जितना अच्छा लिखोगे उतना झेलने में मजा भी आयेगा।
जब परेशान हो जाऊंगा तो अपनी बाइक निकाल कर घूमने निकल जाऊंगा।
और एक बात किसी को धन्यवाद अपने ब्लाग पर नहीं अपनी मेल से रिपलायी कर के दो,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा..
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