Thursday, January 24, 2013

यादगार रहेगा हमें एक ये भी दौर-ऐ-हयात.!

पहले तो बरसी गालियाँ ,फिर बाद में लगते गले. .
खुशियों ने ठाना ठिकाना जब हम अरसों बाद मिले.!                                           


Helmet चढ़ा  के फिर, और दबा  के  accelerator . .
फ़िकरों को सब भूलके ,
हम आज दौड़े  हवाओं पर  .!
 
 मज़े मे बीतते हर दिन ,और रातें पीते-पीते. .
हमने भी कही अनकही ,कई बातें पीते-पीते.!

हमप्याले हमनीवाले,संग पीया- साथ चक्खा. .
रातों को भी  रात भर,संग में जगाये रक्खा .!


तर -बतर कपड़े मगर ,नाचा किये हम रात भर .!
जूनून छाया इस कदर, खुद को न थी खुद की खबर .!

हाथों मे बाँध कर हाथ,किया लहरों से दो-दो हाथ
गिरता कोई उठाता,मगर न  छूटने  दीया साथ.! 

 बड़ी छोटी सी नज़र आती अल्फाजों की कायनात .!
यादगार रहेगा हमें एक ये भी दौर-ऐ- हयात.! 

*Reunion with friends. .

3 comments:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. सार्थक और सटीक!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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