बिखरी हुई तेरी जुल्फें ... बस ऐसे ही रहने दो..
न तुम कहो.. न हम कहें.. ख़ामोशी को कहने दो.!
शाम को थोडा सा और ढल तो जाने दो...
चाँद को नज़रों से दूर चल तो जाने दो...
कल क़ी मेरी सुबह बस अब तेरे ही संग हो...
आज न रोको हमें जज्बातों में बहने दो...
तुम मुस्कुरा जो दिए इस दिल को थाम लेने दो...
दर्द भी उठा मगर, इस दर्द को हमें सहने दो.!
न तुम कहो.. न हम कहें.. ख़ामोशी को कहने दो.!..
romantic poem with a seductive touch...nice...welcum bak shivi..:):P
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोई गयी रचना!
ReplyDeletenice 1 kush.......heart touching....
ReplyDeletetagda shivi.... jiyo!!!
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