Wednesday, May 6, 2020

KISSE COVID KE


कोरोना वायरस की पृष्ठभूमि पर एक ग़ज़ल लिखी है । इडजर क्लिक के माध्यम से आप से इसकी वीडियो प्रस्तुति भी देखने का अनुरोध करता हूँ ।  धन्यवाद ।


खतरे में जिंदगी है आदमी की आज प्यारे।।
कितने डरावने हैं आज कुदरत के नज़ारे।।

कभी बाहर प्रदूषण से घुटा करता था दम अपना,
अब दम घोंटती अंदर ही अंदर घर की दीवारें  ।।

डूब जाएगा वो जो हाथ पैर ज्यादा चलाएगा
रहेगा शिथिल यदि तो पहुंच जाएगा तू किनारे ।।

लड़ रहे सेना सरिस ये कोरोना के वारियरस,
संकल्प दीपों से छठेंगे सघन अंधियारे ।।

शहरी हो या ग्रामीण हो, समृद्ध हो या दीन हो
एक से ही दर्जे पर खड़े अब सारे के सारे ।।

खुदा खुद को समझने लग गया था कल तलक बंदा,
समझ आया नही होता है कुछ भी हाथ में हमारे।।

ये दुनिया नही चलती है पैसों से या ताकत से,
ये दुनिया सदा चलती है इंसानियत के सहारे ।।

आधुनिकता की रेस में सब दौड़े ही जा रहे थे तब,
रुके अबजब तो आंक लो सब कि तुम जीते कि तुम हारे ।।

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