हुस्न तेरा कितने गुनाह हर रोज़ करता है ..
हम मरे कई बार तो वे भी मरे कई बार..
तू दर्द देती है मगर वो दर्द भी स्वीकार...
तेरा आना फिर कहे कुछ यूँ चला जाना...
लगता है बन्ने को है नया कोई अफसाना...
फिर से चलने अब लगी कुछ वैसी हवाएं...
फिर से नाचे मोर .. अंगराई लीं लताएँ...
हम तो बहकने अब लगे उसकी हर एक बात पर ...
एक नशा सा होता है अब उसके ख्यालात पर
उसकी लटें बिखरती है जब चेहरे क सामने...
लोग लग जाते है फिर दिलो को थामने ..
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