Deer Salman,
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कुछ दिन पहले आपका बयान सुना | सुन कर ख़ास आश्चर्य नहीं हुआ | आपको परदे पर डायलॉग बोलने पर तालियाँ मिलती है जिसकी वजह से अक्सर भ्रम हो जाता है कि अच्छा बोल लेते हैं और नतीजतन कभी कभी ज्यादा बोल जाते हैं | जनाब, आप लोग फ़िल्में बनाते हो जनता के मूड के अनुसार और जनता आपकी मूवी हिट करा देती है | फिर क्या! जनता की जेब जितनी ढीली होती है आपकी उतनी भारी | लेकिन हैरानगी इस बात की होती है कि ऐसे संवेदनशील विषयों पर आप जनता के मूड को वो तवज्जो नहीं देते.?!!
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आप कहते हो कि बॉलीवुड किसी के बाप की जागीर नहीं | बॉलीवुड हम भारतियों की जागीर है | हमारे पैसे से पला-बढ़ा है बॉलीवुड | हम नहीं चाहते कि कोई पाकिस्तानी कलाकार अमन की आशा का तमाशा बनाते हुए यहाँ पर ऐश फरमाए, हमसे कमाए और हमारी भावनाओं की कद्र भी न करे | उरी पर हमले की निंदा करने में क्या दिक्कत थी | उनकी कर्मभूमि में इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ है, तो क्यों नहीं अपने दर्शकों के साथ खड़े दिखे.! क्यों नहीं अपनी हुकूमत के खिलाफ अपने मुल्क को आतंकवादियों की पनाहगाह बनाये जाने के विरोध में अवार्ड वापसी की | क्या ये अमन की आशा के मकसद में फ़ैल नहीं हुए?
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कलाकार कई हैं हमारे पास फिर हमने इन्हें फिल्मों में रोले देना क्यों शुरू किया.? इसलिए कि कला और संस्कृति का आदान-प्रदान हो | दोनों मुल्क के लोग एक दुसरे को इनके माध्यम से जानें न कि अपनी इतिहास की किताबों या जेहर उगलते लीडरों के जरिए | आज दोनों मुल्क में बच्चा-बच्चा एक दुसरे को दुश्मन मुल्क की तरह देख रहा है.! ये तो बेचारे पैसों के पीछे दौड़ते-दौड़ते अमन की आशा के उद्देश्य से ही भटक गए |
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आपने ये भी कहा कि कला सरहद से ऊपर है | तो इस surgical strike पर कल को जब बॉलीवुड में फिल्म बने तो फवाद खान को एक रोल ऑफर कर पता कर लीजियेगा कि कला सरहद के ऊपर है या फिर नीचे | जब बैडमिंटन एसोसिएशन से ले कर BCCI तक भारत सरकार की पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहीम में उनके साथ है तो बॉलीवुड क्यों नहीं.!!
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कला को पनपने के लिए एक माहौल चाहिए जैसे शायर को शाम की जरुरत होती है, चित्रकार को दृश्य की जरुरत होती है .. माफ़ कीजियेगा,ये वो माहौल कतई नहीं है | जब तक हमारे जवान भी चैन से बैठ कर बॉलीवुड फ़िल्में enjoy न कर पायें , ये वो माहौल कतई नहीं हो सकता |
(I don't) Thank you,
Shiva
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