ये ज़िन्दगी इतनी हंसी होगी कभी सोचा न था...
कल तक मैं न जाने क्या था और मैं कहाँ था...
कल तक न कोई मकसद था... कल तक न कोई इरादा था…
कल तक न कोई अपना था…न उनसे किया कोई वादा था...
तुम अब जो आये हो मेरी इस ज़िन्दगी में…
ये कैसा जादू सा कर दिया इस दिल्लगी ने…
कल तक अनजानी राहों पर मैं आवारा फिरता था
कल तक जो हर मोड़ पर खा के ठोकर गिरता था...
पर तुने थामा जो हाथ ...बदले हालात ओ सनम
तुने ही तो बस समझे मेरे जज्बातों को सनम…
कल तक मोहब्बत से डरता था... कल तक दिल ऐसे न धड़कता था
कल तक किसी पे न भरोसा था... कल तक सबने इसे बस कोसा था
पर जबसे तुम हो हँसे मेरी इन हरकतो पर
बनालो न हमको हाँ तुम अपना हमसफ़र…
सोया था दिल जागा है अब,,भागा है अब ,,बड़ी जोर से…
इशारा एक बस चाहिए इस दिल को तेरी ओर से…
wow!!!
ReplyDeletegud one,
hope next one will title "aaj se" & will show contrast btw Kal & Aaj :)
waiting fr next one..
ur poem has a very nice ending n i loved it......
ReplyDeletesaachi mein mast tha
nice one shiva really awesome :)
ReplyDeletewaah nice one dude !! Keep it up!!!
ReplyDeletebhai engineering chhodo aur writer ban jao..............abe tu to mujhse bhi achchha likhta hai,
ReplyDeletegreeeattt!!!!!
ReplyDeleteyet again ur poems inspire me to write sumthing :)
mast hai!!!!!
bandey ney TEER sey bhi tez seedhai "DHAAI!!!!" mara hai dil par
ReplyDelete"tagda boss"
some friends always show a new direction to our way of thinking.
ReplyDeleteThanx man