Wednesday, August 28, 2013

रूप रुपैया ढलता है.!

डॉलर डोरी कसता जाए, रूप रुपैया ढलता है. .

जूते भी अब चरमराये, रूपिया जब जब चलता है. .

बुड्ढापा सिर पे मंडराए, बैसाखी को तरसता है. .

गाड़ी ले लो ताऊ अब, मैं बोला मुझपे हंसता है. .

दिन बचे हैं चार मेरे, क्यू दिन को दो करता है. .

गाड़ी ले लूँ पर मियाँ, गाड़ी मे डीज़ल पड़ता है. .

फूड के बिल की झिलमिल से, और अंधेरा बढ़ता है. .

रूपिया ने बिस्तर पकड़ा, ये देश प्रार्थना करता है.!

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