जज्बातों में तो हम बह गए . .
आज उठा तो दिल में एक दर्द सा महसूस किया . .
बड़े अरसों बाद मिले थे वो आज हमसे ख्याबों में . .
यूँ गाते रहे रोज़ाना मगर एक अरसा हुआ गुनगुनाए हुए. .
हम हंसते रहे हर दौर मे, जमाना हुआ मुस्कुराए हुए..!! .
उन नजरों ने देखा हमें पलकें उठा के . .
हम आज तलक चल रहे लड़खड़ा के . .
खुद से पलकें झुक गयी . .ओंठ कांपने लगे . .
जब आप हमारे दरमियाँ फासले नापने लगे . .
नजदीकियां जब जब हमारे नजदीकतर होती रहीं . .
आपके इशारों को फिर हम भी जरा भांपने लगे |
तुझे देखते ही प्यार हुआ, पर इजहार न कर पाया . .
एक हादसा मेरे संग हुआ, पर अखबार न कर पाया |
छूट गयी आदत मगर बयां भी ऐसे करें .
लोग फिर कहने लगे हम यकीं कैसे करें ?
कैसे अजीब अजीब जख्म दिए,तूने मुझे ऐ बेखबर . .
के जब-जब महसूस होते हैं,हम मुस्कुराने लग जाते हैं |
पर वो हैं की उस पार ही रह गए..!!
बड़े अरसों बाद मिले थे वो आज हमसे ख्याबों में . .
यूँ गाते रहे रोज़ाना मगर एक अरसा हुआ गुनगुनाए हुए. .
हम हंसते रहे हर दौर मे, जमाना हुआ मुस्कुराए हुए..!! .
उन नजरों ने देखा हमें पलकें उठा के . .
हम आज तलक चल रहे लड़खड़ा के . .
खुद से पलकें झुक गयी . .ओंठ कांपने लगे . .
जब आप हमारे दरमियाँ फासले नापने लगे . .
नजदीकियां जब जब हमारे नजदीकतर होती रहीं . .
आपके इशारों को फिर हम भी जरा भांपने लगे |
तुझे देखते ही प्यार हुआ, पर इजहार न कर पाया . .
एक हादसा मेरे संग हुआ, पर अखबार न कर पाया |
छूट गयी आदत मगर बयां भी ऐसे करें .
लोग फिर कहने लगे हम यकीं कैसे करें ?
कैसे अजीब अजीब जख्म दिए,तूने मुझे ऐ बेखबर . .
के जब-जब महसूस होते हैं,हम मुस्कुराने लग जाते हैं |
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteThank you :)
Deleteबढिया रचना
ReplyDeleteShukriya :)
Deleteजेनेटिकैली सुंदर होना ही है !
ReplyDeleteपर रविकर को भी तो शुक्रिया कह लो जी !
This comment has been removed by the author.
Deletehaha. . uncle wo to mein by default hi thankful rahunga unka hamesha :)
Deleteबेतरतीब भी बढ़िया है
ReplyDeleteबढ़िया रचना
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